Wednesday, February 11, 2015

'' साँस - साँस चलना भी दूभर अब ! '' नामक गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - फागुन के हस्ताक्षर '' से लिया गया है -

           







                                                                                                                                    साँस - साँस चलना भी दूभर अब !
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गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !
       तुमको तो नहीं , किन्तु मधुवन को ,
       भौरे ये रह -रह गुंजार गये !
गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !

विरल - विरल बिरवे ये ,दूरी पर 
एक पाँति हुए , एक भाँति हुए ;
नदिया के ऊपर उस दिशि में वह 
बना रहे नदी और भाप - धुएँ ;
       इसी तरह मिले विवश होकर तुम ,
       जब - जब भी निंदिया के पार गये 
गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !

तरुण बतख़ सँभल - सँभल पग धरती ,
अंग - अंग में थिरकन - लचकन है ;
बगुला वह सेवारों पर बैठा ,
देने निज सपनों को जीवन है ;
       कुछ कपोल फोनों के खम्भों पर 
       बैठे , जो पिया - देश तार गये !
गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !

ढेरों ये श्वेत - बैंजनी रंग के 
आकों के फूल व्यर्थ खिलते हैं 
झरबेरी के काँटों में उलझे ,
साड़ी के सूत व्यर्थ हिलते हैं ;
       मधुऋतु बन खिला , सजा चंदा बन ,
       व्यर्थ सभी लेकिन सिंगार गये ! 
गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !

अनजाने भ्रम की इन लहरों ने 
आ - आकर मुझको भरमाया है ;
पेड़ों की बाँसुरियों ने बजकर 
बरबस ही मन को भटकाया है ;
       साँस - साँस चलना भी दूभर अब ,
       प्राणों पर रख इतना भार गये !
गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये ! !



                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 


( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
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पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर '' ,  पृष्ठ - 36, 37

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा 
पी . जी . टी . ( इतिहास ) 
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

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