Friday, September 11, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत --- '' अग्नि के फूल ''









ढाकवनी में आग लगी है । । 

जाने कब की दबी हुई यह ,
चिनगारी वन में सुलगी है ?
ढाकवनी में आग लगी है । । 

लाल - लाल लपटें ही लपटें ,
पवन - झकोरों में लगती है 
ज्वाला लेती हुई करवटें ;

रक्त - कमल खिलते शाखों पर ,
सुर्ख अग्नि के फूल दहकते 
बुझे - बुझे - से इन ढाकों पर ;

लगता हर तरु पर सन्ध्या की 
लाल - लाल ओढ़नी टँगी है । 
ढाकवनी में आग लगी है । ।


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 53









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