Sunday, September 13, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' अमृत - घट फूट गया ''









सपना जो पाले थे , टूट गया । । 

भुरहारे क्षितिज हुआ अरुणीला ,
टीले आ बैठ गया सूरज ,
दिन ने घर के बाहर पाँव धरे ,
अपने अंधे अतीत को तज ;

किन्तु धूप में आँखें चुँधियाई ,
सही राह अगलों ने अलगाई ,

लक्ष्य - भ्रष्ट होकर शर छूट गया ,
उफ़ , अमृत - घट गिर कर फूट गया । 

सपना जो पाले थे , टूट गया । । 


                                     - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 63









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