Monday, September 21, 2015

‘’ ओ गीतकार ‘’ नामक गीत , कवि स्व . श्रीकृष्ण शर्मा का गीत संग्रह – ‘’ बोल मेरे मौन ‘’ से लिया गया है









दुख - दर्द लिये ओ गीतकार ,
तू अपनी मस्ती में खोया !!

तुझ पर हँसते जाते अभाव ,
डँस रहे उपेक्षा के तक्षक ,
तिल - तिल कर जलता जाता तू 
अपने गीतों में भोर तलक ;

पतझर दरवाज़े खड़ा हुआ ,
खण्डहर पौली में अड़ा हुआ ,

पर अमृत अौरों को देकर ,
तूने खुद विष का घट ढोया !

दुख - दर्द लिये ओ गीतकार ,
तू अपनी मस्ती में खोया !!


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 66










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