Sunday, September 6, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - बोल मेरे मौन से लिया गीत --- '' पुरबा के संग ''










पुरबा के संग - साथ ,
दौड़ रहे मृगछौने । 

विन्ध्य के शिखर से चल 
घाटी में ये आते ,
जंगल से बस्ती तक 
दल के दल सुस्ताते ;

प्यासे तरु - सरि - प्राणी ,
करने को अगवानी ;

मुँह फाड़े ताक रहे ,
इनका पथ हर कोने । 

पुरबा के संग - साथ ,
दौड़ रहे मृगछौने । 


                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 49









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