Saturday, October 31, 2015

'' तप करता वैशाख '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









उफ़ , किसने छू दिया ,
कि सूरज आग हुआ ?

छाती फटी धरा की ,
पानी भाप बना ,
तप करता बैशाख ,
लग रहा शाप बना । 

चला शोहदा झौंका ,
काँधे धूल लिये ,
लपटों नन्हा तैंदू ,
हरियल - कच्च हिये । 

माँग रहा है बरगद ,
सबके लिए दुआ । 

उफ़ , किसने छू दिया ,
कि सूरज आग हुआ ?


                            - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 57

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867




'' सूर्यपुत्र होकर '' नामक गीत ,कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









ऐसे क्यों उदास हो भाई ?

सूर्यपुत्र होकर क्यों तम के 
आगे यों हताश हो भाई ?
ऐसे क्यों उदास हो भाई ?

देखो , देखो फूल हँस रहे 
घिर शूलों के चक्रव्यूह में ,
देखो , झाँक रहा है अँखुआ 
इस पथरीले वज्र ढूह में ;

देखो , ग्रीष्म हो चला सावन ,
पतझर होता जाता फागुन ;

किन्तु तुम्हीं क्यों पाले बैठे ,
पीड़ा और त्रास हो भाई ?
ऐसे क्यों उदास हो भाई ?


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 80

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867



Thursday, October 29, 2015

'' बरस रहे चौथे दिन भी घन '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । । 

कौंध गई आँखों बिजली - सी ,
बरस रहे चौथे दिन भी घन । 
भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । । 

सुन्दर - मोहक फूल झर गए ,
इन्द्रधनुष कीच से भर गए ,
नदी चढ़ी अजदहे - सरीखी ,
मुँह में उसके गाँव - घर गए ;

फसल पड़ी परकटे खगों - सी ,
दलदल में धँस रहे पगों - सी ,
देख - देख कर सपने रोए ,
डूब चला है गहरे में मन ;

हाथी - पानी हुए ताल - नद ,
लगता है फट  पड़े मेघ - घन ।  
भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । । 


                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 56

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


'' गीत अमर है '' नामक गीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









किसने कहा कि गीत मर गया ?
नहीं मरा है , नहीं मरेगा ,
जब तक जग है , गीत अमर है । । 

गीत अमृत से भरा कुण्ड है ,
गीत सरस रस की गागर है ,
गीत ज्येष्ठ में आषाढ़ी धन ,
पतझर में फूलों का घर है ;

गीत काव्य का प्रथम श्लोक है ,
स्वप्न - कल्पना - भाव लोक है ;

आहत - शोषित कवि की वाणी ,
संवेदित अन्तर्मन की है 
यह निःसृत पीड़ा कल्याणी ;

मानव का संघर्ष गीत है ,
करुणा का यह जीवित स्वर है । 

किसने कहा कि गीत मर गया ?
नहीं मरा है , नहीं मरेगा ,
जब तक जग है , गीत अमर है । । 


                                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 71

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Wednesday, October 28, 2015

'' पहुँच '' नामक गीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









कैसी भी हो पहुँच , तिथि में अखतीज है ,
बंधु , इस जहान में , पहुँच बड़ी चीज़ है । 

श्रम की औ ' निष्ठां की , योग्यता वरिष्ठा की ,
ज्ञान और अनुभव की , कर्म की , प्रतिष्ठा की ,
पूछ नहीं , देखकर भाग्य को यों कोस ना ,
कर यों अफ़सोस ना , मन में न रोष ना ;

दुनिया के तौर सीख , लगा नहीं मेन - मीख ,
भेंट और पूजा से करके आराधना ,
अफसर औ ' नेता के दामन को थामना ;

ये ही , बस ये ही अब योग्यतम तमीज है ,
बाकीं हैं व्यर्थ सभी और व्यर्थ खीज है । 

कैसी भी हो पहुँच , तिथि में अखतीज है ,
बंधु , इस जहान में , पहुँच बड़ी चीज़ है । 


                                                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 72

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Tuesday, October 27, 2015

''अँग्रेज हो गये ! '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









हमको सिर्फ़ पेट की चिन्ता ,
तुम्हें पड़ी है दुनिया भर की । । 

तुमको हमने दिल्ली भेजा ,
रोज़गार दे , रोटी दोगे ,
शर्म ढाँकने भर को हमको 
धोती या कि लँगोटी दोगे ;

लेकिन बैठ ' बड़ी कुर्सी ' पर 
तुम सचमुच अँग्रेज हो गए ,
हम सीधे - सादे लोगों को 
बहलाने में तेज हो गए ;

पर कब तक ये थमा रहेगा ,
असंतोष आख़िर उबलेगा ?

सँभलो , करो जेठ की चिन्ता ,
सूरज की अंगार नज़र की । 

हमको सिर्फ़ पेट की चिन्ता ,
तुम्हें पड़ी है दुनिया भर की । । 


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 73

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Monday, October 26, 2015

'' आख़िर वही हुआ ! '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









आख़िर वही हुआ , हमको था डर जिसका । 
हुआ बेदखल वही , यहीं था घर जिसका । । 

जिसने फिरंगियों से टकरा - टकरा कर 
आज़ादी के तट - बंधों को खड़ा किया ,
जिसने रक्त पिलाकर अपने सीने का 
प्रजातंत्र को ताकत दी औ ' बड़ा किया ;

उसको परे धकेल , छीन कर हक़ सारे ,
सत्ता में आ गए लुटेरे - हत्यारे ;

हक़ की ख़ातिर कौन लड़ेगा , देखें तो ,
कहता था वह , कटा पड़ा है सर जिसका । 

आख़िर वही हुआ , हमको था डर जिसका । 
हुआ बेदखल वही , यहीं था घर जिसका । । 


                                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 74

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Saturday, October 24, 2015

'' मुग़ालता '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









तुम पास हमारे आये तो ,
पर मिले सदा दूरी रखकर । 

तुमने अपनेपन का अभिनय 
हमको बहलाने ख़ूब किया ,
होने तक स्वार्थ - सिद्धि तुमने 
सिर - आँखों हमको बिठा लिया ;

लेकिन जब निकल गया मतलब 
बन गये दूध की मक्खी हम ,
गलहारों के संग डाल दिये 
फिर तुमने विषधर हो निर्मम ;

पर हम भोले सीधे - सादे 
पाले मुग़ालता रहे यही ,
तुम सबसे ज्यादा अपने हो 
जैसे नदिया को कोई लहर ।  

तुम पास हमारे आये तो ,
पर मिले सदा दूरी रखकर । 


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 75

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Friday, October 23, 2015

'' देख रहे पाखंड '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









कहाँ रख दिया गिरवी तुमने ,
कहो हमारा सपना ?

हम खुश थे अपने अभाव में 
औ ' अपनी तंगी में ,
किन्तु खींचकर ले आये तुम 
दुनियाँ बहुरंगी में ;

टूट रहा जब आज तुम्हारा 
जादू ओ मायावी ,
देख रहे पाखंड और 
अपराध हुए हैं हावी ;

सुख - सुविधा - अधिकार लिए सब 
शासक और प्रशासक ,
पर हम सबके लिए बचा है 
रोना और कलपना । 

कहाँ रख दिया गिरवी तुमने ,
कहो हमारा सपना ?


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 77

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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Thursday, October 22, 2015

'' बारात नई लाओ ! '' नामक गीत कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









तुम धरती को सौग़ात नई लाओ !!

पतझर की नज़र लगी है सिरजन पर ,
तुम मधुऋतु की बारात नई लाओ !
तुम धरती को सौग़ात नई लाओ !!

वह बादल नहीं अभी तक आ पाया 
जो प्यास बुझाए सब सबके मन की ,
वह चाँद न अब तक ऊगा अम्बर में 
कालौंछ पौंछ दे जो निशि के तन की ;

अब भी मरुथल प्यास है पावस में ,
अब भी काली है रात अमावस में ;

चाँद नया बारात नई लाओ !
तुम धरती को सौग़ात नई लाओ !!


                                            - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 82

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
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Wednesday, October 21, 2015

'' वचन दीप का '' नामक मुक्तक , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक - संग्रह - '' चाँद झील में ''से लिया गया है -




वचन दीप का 
                                                              ---------------------


                                      ''  रात को रोशनी की ओढ़नी उढ़ाऊँगा ,
                                 भोर के गाँव तक मैं किरन को पठाऊँगा ,
                                 मेरी छोटी - सी देह देख के 
                                 तुम शक न करो -
                                तुम्हारे हाथों मैं एक सूर्य सौंप जाऊँगा ! ''


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        पुस्तक - '' चाँद झील में ''  ,  पृष्ठ - 11

             
 सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
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'' सुबह जगाएँ '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









सुख छोड़ो , पीड़ाएँ ओढ़ी ,
ये अंधी राहें उजराएँ । । 

हमने तो सपने देखे थे 
मरुथल बन जाए वृन्दावन ,
पतझर के उदास आँगन में 
झूम - झूम कर गाए फागुन ;

गुमसुम होकर हवा न बैठे ,
बन्दी होकर नहीं रोशनी ;

लाल आँच आँखों से जोड़ी ,
किरणें आकर सुबह जगाएँ । 

सुख छोड़ो , पीड़ाएँ ओढ़ी ,
ये अंधी राहें उजराएँ । । 


                                  - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 83

सुनील कुमार शर्मा  
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Monday, October 19, 2015

'' ऐसी आग भरो ! '' नामक गीत , स्व. कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









कोई ऐसी बात कहो जो हास जगाए , पुलक बिखेरे ! 
कोई ऐसा काम करो जो बंधन चटकें , टूटें घेरे !!

कुम्हलाए उदास चेहरों पर 
है कितनी मायूसी छाई ,
चिन्ताओं ने है ललाट पर 
गहरी वक्र लकीर बनाई ;

गाज गिरी हो ऐसा मन है ,
डसा साँप ने जैसा तन है ,
कोई मरा पड़ा हो ऐसा 
हुआ मातमी घर - आँगन है ;

सब अपने - अपने में खोए 
बीहड़ जंगल सिर पर ढोए ;

कोई ऐसी आग भरो , दुख  - ताप जलें , उजलाय सवेरे !
कोई ऐसी बात कहो जो हास जगाए , पुलक बिखेरे !!


                                                              - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 84

 सुनील कुमार शर्मा  
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Friday, October 16, 2015

'' ओ मेरे कवि '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!

सब चुप हैं , पर तू सच - सच ही 
सारे जग के सम्मुख कहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!

अनचाहे संक्रांति काल में 
बेगानी है दृस्टि समय की ,
चारों ओर घिरी हैं गूँगी 
छायाएँ आतंक व भय की ;

बन्धों - प्रतिबन्धों का आलम ,
पटे पड़े जुल्मों के काँलम ; 

शब्द - ब्रह्म की ख़ातिर , आहुति 
बन साधना - यज्ञ में दहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!


                                          - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 86

सुनील कुमार शर्मा  
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Thursday, October 15, 2015

'' कैसा है ये हवन हमारा ? '' नामक गीत , कवि स्व . श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









वर्षों बीतीं रात झेलते ,
अँधियारा देह से बेलते ;
धूप खिलाने को दीपक पर ,
हम सूरज से रहे खेलते !

उजियारे को रहे काटते ,
किरणों के पर रहे छाँटते ;
कुछ पल चकाचौंध की ख़ातिर ,
सिर्फ़ कुमकुमें रहे बाँटते !

सम्बन्धों के फूल तोड़ते ,
जलते हुए पहाड़ ओढ़ते ;
चन्द काग़जों की सुर्ख़ी पर 
साँस - साँस को हैं निचोड़ते !

कैसा है यह  सृजन हमारा ,
नागफनी है द्वारे ?
कैसा है ये हवन हमारा 
वर पाकर भी हारे ?


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 87

सुनील कुमार शर्मा  
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Wednesday, October 14, 2015

'' गीत लिक्खे हैं ! '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









गीत लिक्खे हैं मैंने आँसुओं से पीड़ा के ,
दर्द इस ज़िन्दगी का अक्षरों में ढाला है ,
आँधियों से भरी काली - अँधेरी रातों में 
काँपते हाथों से गीतों का दिया बाला है । 

इनमें बुनता रहा हूँ सपने में भविष्यत् के ,
इनमें देखी गरीब भूख की मैंने रोटी ,
इनमें बेरोज़गार बेटे की मजबूरी है ,
इनमें बीमार बेवा माँ की है किस्मत खोटी । 

देखता हूँ मैं धूप में सिसकती नाकामी ,
किन्तु जिये जा रही है जिन्दगी जहर पीती । 
मुश्किलों , जुल्मों , अभावों में बुझ नहीं पायी ,
एक अरुणाली सुबह राख में अब भी जीती। 


                                                     - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 68

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Tuesday, October 13, 2015

'' ज़िन्दगी खड़ी है कफ़न ओढ़ ! '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









जब दुनिया का दुख देखा तो 
मैं आँसू नहीं रोक पाया !!

मैं अपनी पीड़ा भूल गया ,
मैं भूल गया अपने अभाव ,
हर ठौर पड़े देखे मैंने 
जब भूख - गरीबी के पड़ाव ;

बिखरे सपनों की व्यथा , भग्न 
आशाओं का दारुण विलाप ,
लाचारी औ ' मजबूरी का 
हैं लोग ढो रहे करुण शाप ;

ज़िन्दगी खड़ी है कफ़न ओढ़े,
उखड़ी साँसें , ढहती काया !

जब दुनिया का दुख देखा तो 
मैं आँसू नहीं रोक पाया !!


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 67

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Monday, October 12, 2015

'' बदली की तबियत '' नामक गीत , कवि स्व . श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









नभ में उड़ती हुई समुद्री मछली । 
आग लिये बदली की तबियत बदली । । 

इसकी आँखों में कुछ सब कहते सावन ,
इसकी पाँखों में कुछ जो सबसे पावन ,
इसके प्राणों में कुछ जिसको पा पुलकित ,
होता आकुल - व्याकुल धरती का कन - कन ;

अपना सब कुछ लुटा रही ये पगली । 
आग लिये बदली की तबियत बदली । । 


                                              - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 64

सुनील कुमार शर्मा  
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Sunday, October 11, 2015

'' स्याह अँधेरा '' नामक गीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









फैला कितना स्याह अँधेरा ?

सुबह गुलाबी ,
था उजला दिन ,
साँझ सुनहरी ,
हँसता पल - छिन ,

चहल - पहल थी 
उत्सव - जैसी ,
कोलाहल 
मेले का जामिन ;

पर अब तो कमबख्त 
अकेलेपन औ ' सन्नाटे ने घेरा । 

फैला कितना स्याह अँधेरा ?


                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 61

सुनील कुमार शर्मा  
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Saturday, October 10, 2015

'' प्यास उड़ रही '' नामक गीत स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









आवाजें खो गयीं ,
रह गया केवल खालीपन । 

मौन हो गये नदिया के स्वर ,
झरने हैं निःस्वन ,
सूख गये आँखों के आँसू ,
मन का गीलापन ;

प्यास उड़ रही डैने खोले ,
पेड़ खड़े उन्मन 
आसमान है बुझा - बुझा - सा 
फूटा जल - दर्पण ;

लगता है दुर्भिक्ष करेगा ,
भू का चीर - हरण । 

आवाजें खो गयीं ,
रह गया केवल खालीपन । 


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 

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 * पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' पृष्ठ - 85

 * सुनील कुमार शर्मा
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
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Friday, October 9, 2015

'' कुछ कहते हैं '' नामक गीत , स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









कुछ कहते हैं गीत मर गया । । 

कोरी भावुकता में जन्मा ,
एक फूल वृन्त से झर गया । 
कुछ कहते हैं गीत मर गया । । 

भाव लिजलिजे , छन्द पुराने ,
उपमा औ ' उपमान रूढ़ थे ,
जो कि काल्पनिक दुख में खोया ,
जिसके सब निहितार्थ गूढ़ थे ;

गुमसुम औ ' उदास पीड़ा का ,
थकी और हारी व्रीड़ा का ,

था पालित - शापित बेटा जो ,
आँसू - सा चुपचाप ढर गया । 
कुछ कहते हैं गीत मर गया । । 


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 70

सुनील कुमार शर्मा
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


Thursday, October 8, 2015

'' बोल मेरे मौन '' नामक गीत , गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









बोल मेरे मौन ,
मेरी याचना हारी ,
मगर हिमवान ज्यों का त्यों । 

ज्योति मेरी मौन ,
मेरी अर्चना हारी ,
मगर पाषाण ज्यों का त्यों । 

सृष्टि मेरी मौन ,
मेरी सर्जना हारी ,
मगर वीरान ज्यों का त्यों । 

ज्ञान मेरा मौन ,
मेरी कल्पना हारी ,
मगर इंसान ज्यों का त्यों । 

मौत जैसा मौन ,
लगता चेतना हारी ,
मगर जाग्रत अभी है 
कलम का ईमान ज्यों का त्यों । 


                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 81

सुनील कुमार शर्मा
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


Wednesday, October 7, 2015

'' मुझे क्षमा कर देना '' - नामक गीत , गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया -









तुम्हें न अच्छी बात लगे तो ,
मुझे क्षमा कर देना , साथी !!

मेरे मन में जो भी आया 
वह मैंने तुमसे कह डाला ,
सुख - दुख दर्द - पीर जो भोगी 
जो कुछ मैंने देखा - भाला ;

हम सब हैं हमराह यहाँ पर 
राह कटेगी कह - सुनकर ही ,
भला खीजने से क्या होगा 
ख़ुशी मिलेगी हँस - गाकर ही ;

जब अँधियारा गहराये तो ,
दीप एक धर देना , साथी !

तुम्हें न अच्छी बात लगे तो ,
मुझे क्षमा कर देना , साथी !!


                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 69

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


Tuesday, October 6, 2015

'' मृत्यु से '' - नामक लिया गया गीत -'' बोल मेरे मौन '' ( गीत - संग्रह ) से -









कस दिये आज किसने ये बन्धन ,
बन्द अब हो चली दिल की धड़कन !

कौन पारस लिये मिल गयीं तुम ,
देह तुमको बनी छू के कंचन !

बाँह किसने मुझे दी वहाँ पर 
छोड़ बैठी जहाँ साँस दामन !

कैसा जादू कि जब तुमको देखा ,
बन गया खुद - ब - खुद एक दर्पण !


                                          -  श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 88

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867