Wednesday, March 9, 2016

'' ज़िन्दगी है दाँव पर '' नामक नवगीत , स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' में से लिया गया है -









       आँख में है 
       हर नमी के 
       त्रासदी !

दर्द का स्केल है : चेहरा ,
दुःखों की देहरी 
हर पाँव ठहरा ,
       बनी परवशता 
       सभी के बीच 
       चौहदी !
       आँखों में है ...

आदमी है एक मुट्ठी धूल ,
रंग - खुशबू - फूल 
खोंसे पल्लुओं में 
शूल ; 
       ज़िन्दगी है दाँव पर ,
       घेरे खड़े हैं 
       पारधी !
       आँखों में है ...

हादसों में गीत 
बनते बोल ,
चढ़े पशुओं  के बदन पर 
सभ्यता के खोल ;
       दलदली है ,
       किन्तु जादू की नदी है 
       ये सदी !
       आँख में है ...


                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
________________________
पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 73  , 74

sksharmakavitaye.blogspot.in    
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा 
पी . जी . टी . ( इतिहास ) 
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512

2 comments:

  1. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 11/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक 238 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

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  2. आपने कविता - '' ज़िन्दगी है दाँव पर '' को पसंद किया , इसके लिए बहुत - बहुत धन्यवाद | आप साहित्य के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं |

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