Saturday, April 16, 2016

'' खरीफ़ का गीत '' नामक गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' फागुन के हस्ताक्षर '' से लिया गया है -









'' खरीफ़ का गीत ''
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सिर से ऊँचा खड़ा बाजरा , बाँध मुरैठा मका खड़ीं ,
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 

       पाँव सरपतों पर घर करके 
       हवा चल रही है सर - सर ,
       केतु फहरते हैं काँसों के 
       बाँस रहे हैं साँसें भर ;

पाँव गड़ाती दूब जा रही , किस प्रीतम के गाँव बढ़ी। 
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 

       सींग उगा करके सिंघाड़ा 
       बिरा रह मुँह बैलों का 
       झाड़ और झंखाड़ खड़े हैं 
       राह रोक कर गैलों का ;

पोखर की काँपती सतह पर , बूँदों की सौं थाप पड़ीं। 
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 

       घुइयाँ बैठी छिपी भूमि में 
       पातों की ये ढाल लिये ,
       लेकिन अपनी आँखों में है 
       अरहर ढेर सवाल लिये ;

फिर भी सत्यानाशी के मन में , है अनगिन फाँस गड़ीं। 
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 

       पके हुए धानों की फैली 
       ये जरतारी साड़ी है ,
       खंडहर की दीवारों पर ये 
       काईदार किनारी है ;

छोटे - बड़े कुकुरमुत्तों ने , पहनी है सिर पर पगड़ी। 
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 

       ले करके  आधार पेड़ का 
       खड़ी हुई लंगड़ी बेलें ,
       निरबंसी बंजर के घर में 
       बेटे - ही - बेटे खेलें ,

बरखा क्या आयी , धरती पर वरदानों की लगी झड़ी। 
लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी। 


                             - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर ''  , पृष्ठ - 41 , 42

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा 
पी . जी . टी . ( इतिहास ) 
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867





3 comments:

  1. धन्यवाद मयंक जी |

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  2. वाह सारे फसल का मानवीकरण कर दिया आपने वह भी इतने प्यारे शब्दों में।

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  3. धन्यवाद आशा जोगलेकर जी |

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